राष्ट्रवादी आन्दोलन की पृष्ठभूमि में लिखा यह उपन्यास बदलते दौर के सामाजिक इतिहास का जीवन्त चित्रण है।हिन्दु-मुस्लिम एकता और इन दो समुदायों के साझा लक्ष्य; किसान, गरीब और दलित वर्ग का अपने अधिकारों के लिये अहिंसात्मक संघर्ष उपन्यास के मुख्य विषय-वस्तु हैं।चिंता-युक्त और विडम्बना की बात है कि यह मुद्दे आज के भारत में भी उतने ही प्रासंगिक और सामयिक हैं जितने उस समय थे।
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